Dudh Dairy- राजेश्वरी की सफलता की कहानी 2019 में शुरू हुई, जब 39 साल की उम्र में उन्होंने घर पर गौपालन शुरू किया. हालांकि, यह रास्ता चुनौतियों से भरा था, जिसमें चारे की आपूर्ति से लेकर पशु चिकित्सा देखभाल जुटाना शामिल था.
राजेश्वरी का फार्म कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) को प्रतिदिन 650 लीटर दूध बेचता है, जिससे उनकी मासिक आय 7 लाख रुपये हैं. उनकी सफलता की कहानी से प्रेरित होकर अन्य महिलाएं भी गौपालन कर रहीं हैं.
राजेश्वरी के बताए गए अनुसार, उन्होंने सिर्फ 5 गायों के साथ डेयरी फार्मिंग की शुरुआत पांच साल पहले की थी. उनका मुख्य उद्देश्य गायों की उचित देखभाल करना और उनके साथ-साथ चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करना था.
कर्नाटक के तुमकुरु जिले के सूखाग्रस्त कोराटागेरे तालुका की रहने वाली राजेश्वरी ने स्थानीय किसानों से पट्टे पर जमीन ली और मक्का और कपास के बीज की खेती की. इससे उन्हें अपने गायों के लिए चारा मिलने का सोर्स मिला और उनकी गायें स्वस्थ रहीं.
राजेश्वरी ने अपने फार्म को मिल्क फेडरेशन के साथ जोड़ा, जिससे उन्हें नियमित दूध की बाजार मिलती रही. उन्होंने बताया कि पहले कुछ सालों में मुख्यतः उनका फोकस गायों की संख्या बढ़ाने और उनकी देखभाल में था. उन्होंने गायों की नस्ल को भी महत्वपूर्ण बनाया, जिससे उनकी दूध क्षमता बढ़ी.
राजेश्वरी का फार्म विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हुआ है. इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने उन्हें पिछले सप्ताह बेंगलुरु में सर्वश्रेष्ठ महिला डेयरी किसान का पुरस्कार प्रदान किया था. इसके अलावा, उन्होंने कन्नड़ राज्योत्सव, केएमएफ तालुक-स्तरीय पुरस्कार और जिला-स्तरीय प्रशंसा प्राप्त की है.
आइए उनकी योजना और उनके फार्मिंग प्रक्रिया को गहराई से समझें। राजेश्वरी ने अपने क्षेत्र के सूखाग्रस्त और चारे की कमी के बावजूद गौपालन का निर्णय लिया, जिससे उन्हें अद्वितीय तकनीकों की आवश्यकता थी।
राजेश्वरी ने मक्का और कपास की खेती के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के चारे की खेती का भी ध्यान रखा। इससे उन्हें अपनी गायों के लिए उत्तम पोषण स्रोत मिला और गौपालन का कारोबार मजबूत हुआ। इसके अलावा, उन्होंने गायों की चिकित्सा की देखभाल को भी महत्वपूर्ण बनाया और पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं ली।
राजेश्वरी ने बताया कि वह अपने फार्म को मिल्क फेडरेशन के साथ जोड़ने के बाद, नियमित दूध की बाजार मिलती रही है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से स्थिरता मिली है। उनकी उच्च गुणवत्ता वाले दूध की मांग ने उन्हें बाजार में पहचान बनाई है और उन्हें निरंतर समर्थन भी मिलता रहा है।
राजेश्वरी ने अपने फार्म में कर्मचारियों को भी नौकरी पर रखा है और उनके साथ गायों की उचित देखभाल के लिए कड़ी मेहनत की है। इसके अलावा, उन्होंने गर्मियों में अपने फार्म को मांड्या और आसपास के जिलों से चारा खरीदने पर भी ध्यान दिया है, ताकि उनकी गायें पूरे वर्ष में सही देखभाल मिल सके। Dudh Dairy.
राजेश्वरी की यह कहानी हमें एक नए भविष्य की ओर एक महिला किसान की संघर्षपूर्ण यात्रा दिखाती है, जो अपनी मेहनत, संघर्ष, और उद्यमिता से न केवल अपने जीवन को समृद्धि से भर रही हैं, बल्कि समाज को भी प्रेरित कर रही हैं। इससे हमें एक सकारात्मक और समृद्धि से भरपूर समाज की दिशा में एक नई सोच की आवश्यकता है, जिसमें सभी को समान अवसर मिले और हर कोई अपनी पूरी क्षमता से योगदान दें। Dudh Dairy.
राजेश्वरी की कहानी से साफ है कि महिलाएं भी किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं, चाहे वह किसानी हो या किसी और क्षेत्र में हो. वह न केवल गौपालन में सफल हुईं बल्कि अपनी मेहनत और संघर्ष से दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं. उनकी कड़ी मेहनत और उनका आत्मनिर्भर उद्यम देशभर में महिलाओं के लिए मिसाल बना रहा है. इससे सामाजिक और आर्थिक उत्थान के क्षेत्र में भी सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. राजेश्वरी की तरह के उदाहरण देकर, हम सभी को महिलाओं के प्रति समर्पित और समर्थनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है. Dudh Dairy.